Thursday, 22 May 2025

Best SEO Services & Companies in Jaipur and India Nearby

 

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Have a look over our SEO Process:


Research: Keyword research is the part of SEO and process of finding and analyzing actual search terms that people enter into search engines. We will do keyword research to find the best organic keywords phrases according to your website service competitors, trends Google Searches.

Website Analysis: Analysis is the best practices of SEO and earn more relevant traffic in search engines. We will identify the top competitors and make SEO strategy to have ranking well in Google organic results.
ON page SEO: On page SEO is main part of SEO and we will optimize the website and try to resolve all SEO errors. We will make website SEO and user friendly according to google latest guide lines.

Off page / Link-building: We’ll create back-links on quality websites to improve the ranking.

Reporting: Like Analysis Report Work Reporting is also important for analysis of both parties.

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Tuesday, 20 May 2025

Top 10 Do Follow Social Bookmarking Sites List 2025

 


What is Social Bookmarking?

Social Bookmarking is the process of saving a specific web page to a social bookmarking platform so you can revisit it later. Social bookmarking sites allow users to access their bookmarks anytime, from any device. Social bookmarking sites are useful to marketers because users can add, annotate and share bookmarked web pages with their team.

Benefits of Social Bookmarking:

  1. An SEO opportunity to earn backlinks from a platform with a high domain authority to give your content a boost in the SERPs.

  2. Opportunities to network with influencers or collaborators to help grow your online presence and attract the attention of potential new customers.

  3. Ability to easily distribute content, examples and ideas to your team for inspiration.

What is Do-Follow Backlink? And What is No-Follow Backlink?

  1. Suppose your content is supported, then it will be considered a Do-Follow backlink.
    And if not supported, then it will be considered a No-Follow backlink.

  2. The main difference between Do-Follow & No-Follow backlinks is the influence search engines receive from the linked pages.

Note:- If a Do-Follow link has more backlinks, it will impact the search ranking of the page.
But if we have No-Follow backlinks, it will not impact the ranking of the page on the search engine result page — but still, No-Follow backlinks are important.

Why No-Follow Backlinks Are Important?

  1. No-Follow backlinks help in referral traffic.
    If you have No-Follow backlinks, it means links from other websites point to your own from popular websites.
    Instead of getting the backlinks from popular websites, they can drive referral traffic to your website.

Getting mention on popular websites is great for brand awareness, and that motivates search engines to more follow backlinks other websites.


Top 10 Do Follow Social Bookmarking Sites List 2025

The top 10 social bookmarking sites 2025. Get SEO boost with our exclusive do follow social bookmarking sites list 2025 for better ranking.

  1. https://hebrewsworldwide.mn.co/
  2. https://ekehilla-the-men-s-section.mn.co/
  3. https://pureblackxcellence.mn.co/
  4. https://globalaffairs.mn.co/
  5. https://network-16682.mn.co/
  6. https://affiliate-marketing-roundtable-group.mn.co/
  7. https://goddess-selina-empire.mn.co/
  8. https://actnowfortheearthcafe.mn.co/
  9. https://agfans.mn.co/
  10. https://anytime-astro.mn.co/

How To do Bookmarking Submission for SEO

Step 1:-  Open the website, which is given in above list.


Step 2 :- Then go to Join option and click on it.

Step 3:-  Filling Details manually like-Enter the first name, last name, Email and password. Then click "create Account" button.

OR, direct join to Google mail id/facebook/linkedin/Apple account.


Step 4:-  after that you will home option in create and click on that.

Step 5:-  after that you will Quick Post option in Home and click on that.


Step 5:- After click on Quick post option, then enter the title, description & after adding URL you can see the post option then click that.




Step 6:- click on Post option and after that your social bookmarking is live and it is 100% dofollow backlinks.

Monday, 19 May 2025

SEO क्या है और यह कैसे काम करता है?(What is SEO and How it works)


क्या आपको पता है कि दुनिया का सबसे ज्यादा यूज किया जाने वाला प्लेटफार्म कौन सा है, तो द आंसर इज गूगल, गूगल पर एक महीने में 100 मिलियन से भी ज्यादा सर्च क्वेरी डाली जाती है,  लोग गूगल से सवाल करते हैं,तो ऐसे मे आपका कोई व्यवसाय(बिजनेस) है या आपकी कोई वेबसाइट है और गूगल या किसी भी सर्च इंजन पर  कोई भी व्यक्ति आपकी व्यवसाय(बिजनेस) संबंधित (रिलेटेड) या वेबसाइट संबंधित (रिलेटेड) कुछ भी टाइप कर रहा है या कुछ भी सर्च कर रहा है,तो ऐसे मे आप नहीं चाहेंगे कि आपकी वेबसाइट या आपका व्यवसाय(बिजनेस) एकदम टॉप पर दिखे जिससे कि आपको मिले, ज्यादा लीड्स और ज्यादा विजिट्स, तो इस चीज को करने के लिए, अपने व्यवसाय(बिजनेस) को अपनी वेबसाइट को, गूगल के या सर्च इंजन के शीर्ष पर पहुँचाने के लिए, हम करते हैं गतिविधि(एक्टिविटी), जिसे कहते हैं एसईओ यानी  सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन!

SEO का क्या मतलब है?(What means of SEO)

मतलब सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन एक जैविक विपणन(आर्गेनिक मार्केटिँग ) का तरीका है, जिसके अंदर आप अपनी वेबसाइट को इस तरह से ऑप्टिमाइजेशन करते है,इस तरह से उसमें कुछ परिवर्तन(चेंजेज) करते हैं जिससे कि वो गूगल पर शीर्ष पर रैंक कर पाए,अब ये जो एसईओ है सोने में जितना आसान लग रहा है उतना आसान नहीं है आपको सुनिश्चित करना है,की आपकी वेबसाइट, आपके प्रतिस्पर्धियों की तुलना में सबसे अच्छा हो , चाहे मै कंटेंट की बात करु , चाहे मै ऑफ पेज की बात करु, चाहे मै टेक्निकल पार्ट्स की बात करु। हर एक जिज में आपकी वेबसाइट आपके प्रतिस्पर्धियों की तुलना में सबसे अच्छी होनी चाहिए तभी तो वो पहला(फर्स्ट) पार रैंक करेगा, तो अगर आप एसओ सीखना चाहते हैं और इस डिमांडिंग रोल के लिए प्रिपरेशन करना चाहते हैं तो यह ब्लॉग है आपके लिए एकदम परफेक्ट क्योंकि इस एक ही ब्लॉग में आप सीखेंगे कंप्लीट एसईओ -ऑन पेज ,ऑफ पेज ,टेक्निकल एसईओ, के साथ-साथ एआई(AI)को कैसे आप यूज़ कर सकते हैं एसईओ में ,गूगल एनालिटिक्स(Google Analytics) और गूगल सर्च कंसोल(Google search console) को कैसे आप यूज़ कर सकते हैं एसईओ में!

SEO क्या है?(What is SEO?)

एसओ यानी यह सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन होता क्या है तो बहुत ही बेसिक कांसेप्ट है लेकिन अगर आप ने यह चीज को अच्छे से समझ लिया कि आखिर एसओ क्या होता है तो आपके लिए एसईओ करना चाहे मैं प्रैक्टिकली बात करूं या किसी को समझाना कि एसओ क्या होता है क्यों आपको जरूरत है एसओ की यह चीज बहुत ही आपके लिए आसान हो जाएगी क्योंकि कई बार हमें क्लाइंट्स को भी समझाना पड़ता है कि एसओ हम करने वाले हैं तो आखिर ये है क्या उसकी इंपॉर्टेंस बतानी पड़ती है तो उससे पहले आपको खुद को पता होना चाहिए कि आखिर एसईओ क्या होता है इससे पहले कि हम एसईओ की बात करें उससे पहले हम चलते हैं सर्च इंजन पर जिसको हम ऑप्टिमाइज करने वाले हैं तो देखिए, जैसे हम आ जाते हैं गूगल पर, गूगल हम सालो से यूज़ करते आ रहे हैं गूगल एक सर्च इंजन हैं ,गूगल पर जब हमें कोई चीज सर्च करनी है,




जैसे की रिलेटेड टू (related to)मुझे कोई बिजनेस सर्च करना है, जैसे कि मैंने यहां पे सर्च किया ,जैसे मैंने यहां पे टाइप किया  "इंटीरियर डिजाइनिंग इन बैंगलोर"(interior designing in bangalore) मुझे इंटीरियर डिजाइनिंग रिलेटेड सर्विसेस चाहिए थी, कहां पर चाहिए बैंगलोर के अंदर चाहिए ,


तो आप देखोगे यहां पर मुझे काफी सारे रिजल्ट्स देखने को मिलते हैं ये हमारे हैं पेड रिजल्ट्स है, यहां पर देख रहे हैं ये स्पोंसर्ड(Sponsored)रिजल्ट्स दे रहे हैं ये आप देख सकते हो तो ये देखिए ये एक फर्स्ट साइट है, ये एक सेकंड साइट है, थर्ड साइट है, फोर्थ साइट है, ऐसे करते-करते हमें पता है कितने रिजल्ट दिखे हैं एप्रोक्सीमेटली सारी चीजें मिला के ये देखिए एप्रोक्सीमेटली हमें 18 मिलियन के आसपास हमें यहां पर रिजल्ट देखने को मिले हैं और कितनी देर में मिले हैं 0.58 सेकंड्स के अंदर अब यहां पर पॉइंट उठता है कि जैसे मैंने ये एक बिजनेस के बारे में कुछ भी सर्च किया तो यहां पर इतने लाखों करोड़ों रिजल्ट्स मुझे दिख रहे हैं;

लेकिन ये जो टॉप पर रिजल्ट आपको दिख रहे हैं, चलिए हम इनकी बात नहीं करते क्योंकि ये पेड रिजल्ट्स हैं तो अगर मैं बात करूं इन रिजल्ट्स की तो आखिर इनमें ऐसी क्या बात है जो ये फर्स्ट नंबर पे दिख रहा है ये सेकंड पे दिख रहा है ये थर्ड पे दिख रहा है जबकि हमारे पास रिजल्ट कितने हैं हजारों लाखों रिजल्ट्स हैं ये देखिए ये पेजेस आप चेंज करोगे तो आप दूसरे रिजल्ट्स पे पहुंच जाओगे तो पॉइंट यहां पर क्या है कि जब भी हम सर्च इंजन पे कुछ सर्च करें तो हमें कुछ रिजल्ट फर्स्ट पे दिखाई देते हैं कुछ सेकंड पे कुछ थर्ड पे कुछ 100 नंबर पर कुछ थाउजेंड नंबर पर कुछ लैक्स नंबर पर दिखाई देते हैं तो फर्स्ट पर जो रिजल्ट आते हैं ओबवियस(Obvious)सी  बात है की मैं इसी पर ही क्लिक(click)करूगा आज तक आप खुद से पूछिए कभी ऐसा हुआ है, आपने एकदम पेज के नीचे जाकर और यहां पर क्लिक कर रहे हो या फिर सेकंड पेज पर जा रहे हो, थर्ड पेज पर जा रहे हो, हुआ भी होगा तो 1% से 2%  टाइम्स ही हुआ होगा ,तो अब यहां पर सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन जो हम एसईओ की बात कर रहे हैं;

वो इसी चीज का गेम है हमारा टारगेट यही रहेगा कि हमारा जो बिजनेस है वो उसको हम यहां पर टॉप पर ला पाएं और इसी के लिए हम एसईओ करते हैं, तो चलिए अब हम वापस आते हैं हमारे एसईओ पर कि एसईओ क्या होता है कि जो एसईओ है यह दो वर्ड से मिलकर बना है फर्स्ट इज "सर्च इंजन" दूसरा इज "ऑप्टिमाइजेशन" तो यहां पर हम सर्च इंजन को ऑप्टिमाइज नहीं कर रहे हैं  फिर ये नाम सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन कैसे आया तो ये नाम ऐसे आया कि हम अपनी वेबसाइट को ऑप्टिमाइज कर रहे हैं हम सर्च इंजन को ऑप्टिमाइज नहीं कर रहे हैं हम अपनी वेबसाइट को ऑप्टिमाइज कर रहे हैं जैसे अभी आपने देखा हमने सर्च इंजन पर कोई रिजल्ट सर्च किया, कोई कीवर्ड हमने डाला अब लेट्स सपोज कि आपकी एक वेबसाइट है "इंटीरियर डिजाइनिंग" से रिलेटेड और आप बैंगलोर में सर्व करते हैं, आप नहीं चाहेंगे कि जब भी कोई पर्सन ये क्वेरी सर्च करें,ये कीवर्ड जब भी हमारी वेबसाइट रिलेटेड कोई भी कीवर्ड टाइप करें तो हमारी वेबसाइट टॉप पर दिखे इसे हम कहते हैं सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन, अब इसकी एक परिभाषा(Definition) देख लेते हैं परिभाषा(Definition)रटना जरूरी नहीं है परिभाषा(Definition)को समझना जरूरी है!

परिभाषा(Definition)

"एसईओ इज अ प्रोसेस", सबसे पहले क्या है ये एक प्रोसेस है ये ऐसा नहीं कि एक टेक्नीक नहीं है कोई ऑन ऑफ का बटन नहीं है मैंने अपनी वेबसाइट प चालू कर दिया तो,मेरी वेबसाइट टॉप पर आ गई मेरी वेबसाइट को ऑफ कर दिया तो वेबसाइट नीचे चलेगी नहीं ,ऑन एंड ऑफ बटन,- दिस इज अ प्रोसेस जैसे कि एक बच्चा होता है एक छोटा बच्चा है आप उसको क्या करते हो कैसे सिखाते हो आप पहले उसको चलना सिखाते हो उसको बोलना सिखाते हो उसको ए बी सीडी सिखाते हो देन सेंटेंस बनाना सिखाते हो फिर आप उसको मोरल वैल्यूज देते हो तो एक बच्चे को एक अच्छा इंसान बनाने के लिए अच्छी सिटीजन बनाने के लिए प्रोसेस लगती है तो वैसे ही एक नॉर्मल वेबसाइट को एक ऑप्टिमाइज्ड वेबसाइट बनाने के लिए, जो कि रैंक कर पाए सर्च इंजंस पर ,इट टेक्स टाइम -इट टेक्स अ लॉट ऑफ स्टेप्स - इट्स टेक अ प्रोसेस ,तो सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन क्या है एक प्रोसेस है और ये वन टाइम प्रोसेस नहीं है ऐसा नहीं है;

कि हमने उसको बस एक बार कर दिया तो बस ये हमारी वेबसाइट टॉप पर रैंक कर रही है नहीं हमारे कंपीटर(competitor) भी तो काम कर रहे हैं तो यह चीज चेंज होती रहती है तो "इट इज़ अ प्रोसेस" करते रहोगे वेबसाइट टॉप पर रैंक करती रहेगी सो, "एसईओ इज अ प्रोसेस ऑफ इंप्रूविंग सर्च इंजन रैंकिंग", क्या प्रोसेस है इसमें हम क्या करते हैं हमारे "वेब पेजेस"(web-pages) की जो सर्च इंजंस पर रैंकिंग है उसको हम इंप्रूव करने का कोशिश करते हैं जब भी कोई हमारे बिजनेस रिलेटेड कीवर्ड टाइप करें, अब यहां पर मैंने वर्ड लिया है "वेब पेजेस"(web-pages)तो वेब पेजेस क्या होता है वेबसाइट क्यों नहीं तो देखो वेबसाइट क्या होता है हम बचपन से पढ़ते आए हैं कि वेबसाइट इज अ कॉमिनेशन ऑफ वेरियस वेब पेजेस बहुत सारे वेब पेजेस को मिला के एक वेबसाइट बनती है तो कभी भी पूरी की पूरी वेबसाइट रैंक नहीं करती हमारे वेब पेजेस रैंक करते हैं,कभी होम पेज(Home-page) रैंक करता है, कभी अबाउट असस(About-Us), कभी कांटेक्ट अस(Contact-Us), कभी हमारे कोई इंटरनल पेजेस(Internal pages) रैंक करते हैं;

तो सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन इज अ प्रोसेस जिसमें हम अपने वेब पेजेस की रैंकिंग को इंप्रूव करते हैं! कब रैंक होने चाहिए, जब हमारे बिजनेस रिलेटेड कीवर्ड टाइप करें जैसे पुराना वाला एग्जांपल(example) लेते हैं आपकी बिजनेस है आपका वेबसाइट है "इंटीरियर डिजाइनिंग" से रिलेटेड कोई पर्सन टाइप कर रहा है "बेस्ट सेलो इन बैंगलोर" तो क्या आप चाहेंगे कि आपकी वेबसाइट उस पर रैंक करे ओबवियसली (Obviously) सी बात है नहीं तो इसीलिए हम जो एसईओ करेंगे उसमें हमारा मेन गोल(main goal)क्या रहेगा कि जब भी कोई मेरी वेबसाइट रिलेटेड, जब भी कोई मेरे बिजनेस रिलेटेड, कीवर्ड टाइप करे तो उसे मेरी वेबसाइट टॉप पर दिखे -अब इस परिभाषा(Definition) को पढ़िए सो, "एसईओ इज अ प्रोसेस ऑफ इंप्रूविंग द सर्च इंजन रैंकिंग ऑफ योर वेब पेजेस व्हेन(when)पीपल(people)सर्च फॉर योर बिजनेस रिलेटेड कीवर्ड्स",- जब लोग आपके बिजनेस रिलेटेड ,वेबसाइट रिलेटेड कीवर्ड्स को सर्च करें ,-अब "कीवर्ड"(Keywords)क्या होता हैं;

जो हम किसी भी सर्च इंजन पर कुछ भी सर्च करने के लिए कोई भी वर्ड डाल रहे हो, चाहे एक वर्ड डाल रहे हो ,10 वर्ड डाल रहे हो कोई फर्क नहीं पड़ता, उसे हम बोलते हैं कीवर्ड्स तो जब भी कोई हमारे बिजनेस रिलेटेड, वेबसाइट रिलेटेड कीवर्ड डाले तो हमारे वेब पेजेस रैंक करें और इसके लिए जो हम काम कर रहे हैं इसके लिए जो हम प्रोसेस कर रहे हैं इसके लिए जो हम ऑप्टिमाइजेशन कर रहे हैं उसी को हम कहते हैं सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन" अब ये क्यों करते हैं तो ओबवियस(Obvious) सी बात है इससे हमारी वेबसाइट की क्वालिटी(Quality) और क्वांटिटी(Quantity) ऑफ ट्रैफिक बढ़ता है! ऑर्गेनिक ट्रैफिक देखो पेड ट्रैफिक मतलब जब आप ऐड्स चला रहे हो और लोग आपकी वेबसाइट पर आ रहे हैं लेकिन(but)यहाँ हम ऑर्गेनिक ट्रैफिक की बात कर रहे हैं  इसके लिए हम  गूगल(Google)को कुछ भी भुगतान नहीं कर रहा है! 

हम सिर्फ गूगल के लिए अपनी वेबसाइट को इतना अच्छा बना रहे हैं की लोग हमारी वेबसाइट पर आए तो इससे क्या होता है जब आपकी वेबसाइट टॉप पर रैंक करेगी तो आपकी वेबसाइट पर ट्रैफिक आएगा, आज आप खुद ही सोचिए कि गूगल पर आप कुछ भी सर्च करते हो तो क्या आप सेकंड पेज या थर्ड पेज पर जाते हो- ओबवियसली (Obviously)नहीं जाते हो, लेट्स से आपकी कोई वेबसाइट है और आपके बिजनेस से रिलेटेड कीवर्ड पर वो, सेकंड पेज पर रैंक कर रही है आपको लगता है कोई ऑडियंस वहां पे जाएगी बिल्कुल नहीं लेकिन ,अगर वही फर्स्ट पेज पे सेकंड पोजीशन  या थर्ड पोजीशन या फोर्थ पोजीशन पे रैंक कर रही है तो ऑफकोर्स आपको ट्रैफिक मिलेगा, तो सबसे पहला हमारा एसईओ में टारगेट यही होता है कि सबसे पहले हम अपनी वेबसाइट को सर्च इंजंस पर दिखाएं! अब दिखाएंगे "सर्च इंजन काम कैसे करता है? कैसे हम उसके अकॉर्डिंग अपनी वेबसाइट को पुट करते हैं?" सर्च इंजन पर दूसरा हमारा जो स्टेप होगा वो ये होगा कि,एटलीस्ट टॉप 10 में लेकर आ सके हम अपने बिजनेस को ,अपने बिजनेस रिलेटेड कीवर्ड्स पर! टॉप 10 में ला सके तो टॉप 10 में भी अगर मानलो मतलब फर्स्ट पेज - एक पेज पर 10 रिजल्ट होते हैं तो एक पेज पर, जब 10 रिजल्ट्स में हम आ गए लेट्स से 10थ नंबर पर रैंक कर रहे हैं फिर हमारा टारगेट क्या होगा, कि टॉप फाइव(5) पर आ पाए फिर हमारा टारगेट क्या होगा टॉप फाइव(5) में भी टॉप थ्री(3) पर आ पाए टॉप थ्री(3) पर है तो फिर हमारा टारगेट होगा वन(1) पे आ पाए अब लेट्स सपोज कि अगर हम नंबर वन(1) पर रैंक कर रहे हैं;

हमारे बिजनेस रिलेटेड कीवर्ड्स पर तो आप क्या करोगे एसईओ छोड़ दोगे नहीं- क्योंकि हमारे कंपीटीटर्स(Competitors)भी तो ट्राई(try) कर रहे हैं फर्स्ट पे आने के लिए तो इसीलिए इट इज अ प्रोसेस(process)! आपको करते रहना पड़ेगा जब आप फर्स्ट पे आ गए तो अब आपको ट्राई(try)करना है कि उस पोजीशन को मेंटेन(Maintane) करने के लिए ,और भी दूसरे कीवर्ड्स पर हम -जो है रैंक करने की कोशिश करेंगे तो दिस इज एसईओ सो वापस से रिवाइज कर लेते हैं कि एसईओ एक ऐसी प्रोसेस है, एसईओ एक ऐसी एक्टिविटी है जिसको हम इसलिए करते हैं जिसमें हम अपनी वेबसाइट को इस तरह से ऑप्टिमाइज करते हैं जिससे कि हमारी जो वेब पेजेस हैं उनकी रैंकिंग इंप्रूव हो - कब रैंकिंग इंप्रूव हो जब लोग हमारे बिजनेस रिलेटेड कीवर्ड्स टाइप करें इससे क्या होता है इससे हमारी वेबसाइट पर जो ट्रैफिक है उसकी क्वालिटी एंड क्वांटिटी इंप्रूव होती है मतलब ज्यादा ट्रैफिक आएगा और अच्छी क्वालिटी का ट्रैफिक आएगा जो कि कन्वर्ट(Convert) होगा कन्वर्ट होने का मतलब है हमारे एक्चुअल में कस्टमर बनेंगे लीड्स हमें मिलेंगे तो ये होता है!  

SEO क्यों करना चाहिए? एसईओ का महत्व क्या है?

एसईओ  में हम बात करने वाले हैं कि एसईओ आखिर मैटर क्यों करता है? क्यों  हम एसईओ करते हैं? एसईओ की जरूरत आखिर क्यों  है ये चीज इसलिए भी इंपॉर्टेंट है क्योंकि आपका एसईओ करना चाहते हैं स्पेशली अगर मैं इंडिया की बात करूं एशिया की बात करूं तो ज्यादातर लोग इस टर्म से फैमिलियर नहीं है, इसकी इंपॉर्टेंस से फैमिलियर नहीं है तो ये चीज जब आपको पता होगी आप अपने क्लाइंट को ट्रांसफर करोगे और क्लाइंट- फिर ही तो आपको प्रोजेक्ट देगा क्योंकि कई लोगों को तो हमें जा जाकर बताना पड़ता है कि एसईओ करवा लो आपका बहुत बेनिफिट होगा तो आपको ये चीज पता होनी चाहिए तो अब एसईओ क्यों मैटर करता है क्योंकि देखो ये सारे पॉइंट्स हैं एक-एक करके समझेंगे तो आपको भी क्लियर होगा!  इसीलिए आप आगे वाले लोग को  कन्वेन्स कर पाओगे तू सबसे पहले जो भी लोग हैं! अगर मैं बात करूं जो भी कॉमर्स में इंगेज होना चाहते हैं कोई भी बिजनेस जो है देख रहे हैं उनका जो एक्सपीरियंस है अगर वो ऑनलाइन कुछ भी सर्च कर रहे हैं जैसे मैं आपसे पूछती हूं सबसे पहले जब आपने इंटरनेट यूज किया था आपने क्या यूज किया था कौन सा प्लेटफॉर्म यूज किया था आपने व्हाट्सएप(whatsApp)चलाया था,आपने इंस्टाग्राम(instagram)चलाया था,आपने फेसबुक(Facebook)चलाया था, नहीं हम सबने गूगल यूज़ किया था, जब हमने इंटरनेट यूज़ किया था तो सबसे पहले हमने गूगल ओपन किया था,तो यही चीज़ है, जो लोग हैं हमारे उनका जो ऑनलाइन अनुभव शुरू होता है वो सर्च इंजन से शरू होता है, किसी भी बिजनेस से संबंधित आप देखो-


1).ऑनलाइन अनुभव किसी भी बिजनेस का वो 93% टाइम कहा से शुरू होता है हमरे सर्च इंजन से हम सभी सबसे पहले इंटरनेट जब भी यूज़ करते है तो हम गूगल पर जाते है गूगल को हम यूज़ करते हैं गूगल को देखते है की किसने क्या कौन सा बिज़नेस हैं!

2). 75% यूजर्स कभी भी पेज टू पर नहीं जाते हैं आप खुद से पूछिए ना इतने टाइम से आप गूगल यूज कर रहे हो कितनी बार आप सेकंड पेज पर गए हो - 10 में से कोई एक बार 100 में से कोई दो बार कितनी बार ही गए हो, तो 75%  ऑफ यूजर्स कभी भी स्क्रॉल- पेज टू पर स्क्रॉल नहीं करते तो ऐसे में अगर आपके बिजनेस रिलेटेड कीवर्ड्स हैं और आपकी वेबसाइट रैंक कर रही है लेट्स से 11थ नंबर पर 12थ नंबर पर तो उसका फायदा कुछ नहीं है क्यों क्योंकि 75% यूजर्स तो जाएंगे ही नहीं वहां पे!

3). उसके अलावा 70% टू 80%  यूजर्स इग्नोर(ignore) करते हैं हमारी पेड ऐड्स(paid Ads)को जो स्पंस ऐड(Sponsored Ads)चल रही होती है ना उनको छोड़कर वो रिजल्ट पे आते हैं सीधा ऑर्गेनिक पर क्योंकि उनको भी पता होता है कि ये तो प्रमोटेड ऐड्स है! 

4).उसके अलावा जो स्मार्टफोन यूजर्स हैं वो कहते हैं कि 82% ऑफ- उनमें से जो लोग हैं वो कहते हैं कि हमें कोई भी लोकल बिजनेस ढूंढना होता है तो हम कहां जाते हैं सर्च इंजंस पे जाते हैं तो अगर आपका एक लोकल बिजनेस है;
एक लोकल बिजनेस की वेबसाइट है तो आपके लिए सर्च इंजन बहुत ही बढ़िया चीज है उसी के अलावा जब हमारी वेबसाइट रैंक करेगी तो क्या होगा विजिबिलिटी(Visibility) बढ़ेगी विजिबिलिटी का मतलब होता है ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचेगी दिखेगी जब विजिबिलिटी बढ़ेगी सर्च इंजन पे तो ट्रैफिक बढ़ेगा ओबवियसली (Obviously)सी बात है और जब ट्रैफिक बढ़ेगा तो कन्वर्जन(Conversion) ज्यादा होंगे कन्वर्जंस मतलब हमें लीड्स ज्यादा मिलेंगी कस्टमर्स ज्यादा मिलेंगे क्लाइंट ज्यादा मिलेंगे लेट्स सपोज(let's suppose) आपको ऑफलाइन ही लीड्स मिलती है आपका बिजनेस है आपको ऑफलाइन लीड्स मिलती है ऑनलाइन नहीं मिलती है तो उस केस में भी एक पर्सन देखेगा ऑफलाइन भी आपसे वो लीड आई है आपके पास तो वो भी क्या करेगा ऑनलाइन एक बार तो आपकी प्रेजेंस चेक करेगा ना! 

5).वेबसाइट या व्यवसाय में उपयोगकर्ता का विश्वास बढ़ाता है! जब आप सही तरीके से एसईओ करते हो तो क्या होता है  आपकी वेबसाइट का रैंक बढ़ता है ,ट्रैफिक आपको मिलता है, यूजर्स आपको मिलते हैं, लीड आपको मिलते हैं,  तो इसीलिए एसईओ हमारा जो है जरूरी है!

What is a Search Engine?(सर्च इंजन क्या है?)

सर्च इंजन क्या है? क्योंकि हम सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन सीख रहे हैं, यानी एक कार को चलाना सीख रहे हैं, लेकिन अगर हमने यही नहीं जाना कि कार होती क्या है? तो कैसे हम कार चला पाएंगे, तो वैसे ही सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन अगर सीख रहे हैं तो सर्च इंजन के बारे में तो बात करनी बनती है क्योंकि अगर सर्च इंजन को आपने समझ लिया उसकी वर्किंग को समझ लिया, तो काम बहुत ही आसान हो जाएगा तो सर्च इंजन होता क्या है?

तो देखिए जब सर्च इंजन डिस्कवर भी नहीं हुआ था, सर्च इंजन जैसे लॉन्च भी नहीं हुआ था जैसे मैं google(गूगल) की बात करो, तो google(गूगल) 1998 में लॉन्च हो चुका था(GOOGLE WAS OFFICIALLY LAUNCHED IN 1998 BY LARRY PAGE & SERGEY BRIN)लेकिन  2000 के बाद में ही पॉपुलर हुआ और लोग यूज करना चालू किया था लेकिन इंटरनेट तो इससे बहुत पहले से आया हुआ है, तो लोग इंटरनेट कैसे यूज़ कर रहे थे? वेबसाइट्स तो इससे पहले भी बहुत बन रही थी, तो कैसे बन रही थी तो देखो यहां पर क्या था,



कि पहले ब्राउजर्स होते थे ,अब ब्राउजर्स का काम क्या था 



कि वो सर्वर से कनेक्ट होते थे और जो भी वेबसाइट आप वहां पर पुट करते थे जो भी एड्रेस(Address)आप पुट करते थे, यूआरएल(URLs) पुट करते थे वो वेबसाइट आपको दिखाई जाती थी लेकिन यहां पर वही मसला होता था, जो फोन के साथ होता है कि हमें एक-एक नंबर जैसे याद रखना पड़ता था, जब पहले फोन सेव नहीं कर पाते थे हम तो क्या करते थे हम एक-एक नंबर हमें याद रखना पड़ता था तो जब भी किसी को फोन डायल करना है तो वो नंबर हमें याद होना चाहिए लेकिन अभी क्या हो गया है अभी स्मार्ट फोन  आ गए तो स्मार्ट फोन  में क्या हुआ है कि हमें नंबर याद नहीं रखना पड़ता हम सारे नंबर एक साथ फीड करके रख सकते हैं;

और कुछ भी हम सर्च करेंगे तो जैसे किसी का भी आपने नाम सर्च किया तो सारी वहां पे डायरेक्ट्री(directory)आपके सामने आ जाएगी, तो वैसे ही काम सर्च इंजन का था,कि पहले हमें ब्राउज़र में एक-एक यूआरएल(URLs)को याद रखना पलटा था, यह काम थोड़ा सा मुश्किल हो जाता था तो उस केस में क्या हुआ कि सर्च इंजन की डिस्कवरी हुई और सर्च इंजन ने क्या किया कि, अब आपको एक-एक यूआरएल याद रखने की जरूरत नहीं है आप सिर्फ अपने कीवर्ड्स डालो, अपनी क्वेरीज(Query/Queries) डालो और हम आपको उससे रिलेटेड इंटरनेट पर जो भी कंटेंट है वो आपको दिखाएंगे, 

तो यह काम था सर्च इंजन का तो अगर कोई आपसे पूछता है- सर्च इंजन नहीं होता तो क्या होता तो, सर्च इंजन अगर नहीं होता तो हमें एक-एक यूआरएल एक-एक वेबसाइट का एड्रेस जो है वो याद रखना पड़ता और वो हमारे लिए काफी मुश्किल हो जाता, तो अब बात करते हैं सर्च इंजन आखिर होता क्या है तो सर्च इंजन जिसे आपका मतलब है एक ऐसा सॉफ्टवेयर सिस्टम या एक एप्लीकेशन या फिर एक ऐसी वेबसाइट जिसका काम है कि वेब पर जो भी डाटा पड़ा है जो इंटरनेट पर जो भी डाटा पड़ा है उसको वो आपके लिए सर्च करके निकालेगा- कैसे सर्च करके निकालेगा जब आप उसको क्वेरीज(Queries)दोगे जब आप उसको कोई भी वर्ड(words) उस पर पुट करोगे तो उस वर्ड्स के बेसिस पर वो आपको क्या करेगा अच्छे-अच्छे रिजल्ट्स निकाल के देगा, (A search engine is a software system that is designed to carry out web searches).

SERP(SEARCH ENGINE RESULTS PAGE-खोज इंजन परिणाम पृष्ठ)?

सर्च इंजन क्या है? सर्च इंजन एक ऐसा सॉफ्टवेयर सिस्टम है, एक ऐसी एप्लीकेशन है, ऐसी वेबसाइट है, जिसका काम है इंटरनेट पर जो भी कंटेंट पड़ा है उसको आपके लिए ढूंढ कर निकालना/ढूंढना यानी सर्च करना और इसीलिए इसे सर्च इंजन कहते हैं! तो सर्च इंजन काम कैसे करता है?



आपने यहां पर कोई भी क्वेरी(Query)डाली जैसे मान लो मैंने यहां पर ये क्वेरी(query)डाली(digital marketing)तो
इस क्वेरी(query) के बेसिस पर, इस (digital marketing)क्वेरी को यूज करके, यह हमें क्या निकाल के देगा रिजल्ट्स निकाल के देगा, तो अब गूगल ने क्या किया है, इस क्वेरी(query)को इस्तेमाल किया है और उसने इंटरनेट पर जो भी इस क्वेरी(query)से संबंधित डेटा था,वो हमें यहां निकरकर देखाया, इसे हम कहते हैं रिजल्ट! यानी हमने कोई क्वेरी(query)करी, जब आप किसी से कोई सवाल करते हो तो आपको क्या मिलता है आपको आंसर/जवाब(Answer)मिलता है तो आंसर/जवाब(Answer) मतलब रिजल्ट(Result)मिलता है आपको, तो ये देखो ये आपको जो रिजल्ट मिल रहा है,

ये रिजल्ट जिस पेज के ऊपर, ये जो पेज आपको दिख रहा है ना यहां पर ये जो पेज है -जिसके पेज के ऊपर आपको रिजल्ट दिखाया गया है इसे हम कहते हैं SERP यानी सर्च इंजन परिणाम पृष्ठ(SEARCH ENGINE RESULTS PAGE).
सर्च इंजन रिजल्ट पेज क्या होता है, तो सर्च इंजन रिजल्ट पेज इज दैट पर्टिकुलर पेज- दैट पर्टिकुलर वेब पेज ये देखो ना वेब पेज ही है ये भी एक; जिस पर सर्च इंजन आपको रिजल्ट दिखाता है, उसे हम कहते हैं सर्च इंजन रिजल्ट्स (Search engine result page is that particular webpage on which the search engine shows the results of your keywords.)

TOP 10 SEARCH ENGINE(शीर्ष 10 खोज इंजन)

टॉप 10 सर्च इंजंस की जब भी बात आती है तो-
1. GOOGLE 
2. BING - Microsoft Search Engine
3. YAHOO - Oldest/father of Search Engine
4. YANDEX - Russia Search Engine

5. DUCKDUCKGO - security/data privacy -जैसे ज्यादातर जो एथिकल हैकर्स होते हैं साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स होते हैं वो डग डक गो यूज़ करते हैं 

6. BAIDU - China Search engine 

7. ECOSIA - एक चैरिटी बेस्ड सर्च इंजन है यानी अगर आप इशिया पर कुछ भी सर्च करते हो तो जितना भी पैसा इशिया अर्न करेगा वो सारा का सारा ओशन क्लीनिंग में जाता है

8. WOLFRAM ALPHA - ये जो सर्च इंजन है ये काफी तेजी से इमर्ज हो रहा है मतलब काफी लोगों को मैंने इसको यूज़ करते हुए देखा है इसमें एड्स(Ads) वगैरह नहीं दिखती हैं इसका जो ब्राउजर वगैरह है उसमें, और अगेन(Again) इसमें कैटेगरी(category) वाइज आप सर्च कर सकते हो ,जैसे WOLFRAM ALPHA में आप कैटेगरी वाइज वहां पर कैटेगरी बनी हुई है कि आपको एजुकेशन कंटेंट चाहिए, टेक्निकल वाइज चाहिए, एंटरटेनमेंट वाइज चाहिए ,तो वो आप चूज कर सकते हो 

9. NAVER -साउथ कोरिया का  ये एक सर्च इंजन है कोरियन लैंग्वेज में 

10. CC SEARCH PORTAL - ये जो सर्च इंजन है ये डाटा उठाता google,BING,YAHOO,etc. से  से इन सभी से डाटा उठाता है लेकिन इसकी खास बात यह है कि सीसी सर्च पोर्टल(CC SEARCH PORTAL) पे आप कुछ भी सर्च करोगे तो आपको जो भी कंटेंट मिलेगा वो सब कॉपीराइट फ्री होगा यानी आप वहां का कंटेंट एकदम फ्रीली यूज़ कर सकते हो कोई आप पर कॉपीराइट नहीं आएगा तो काफी लोगों की पसंद है स्पेशली अगर आप एक कॉपीराइटर हैं  तो आपको यहां से काफी सारी इंस्पिरेशन मिल जाएगी तो ये है 10 सर्च इंजंस जो कि आज के टाइम में आप एक्सप्लोर कर सकते हो 

HOW DOES A SEARCH ENGINE WORK?(सर्च इंजन कैसे काम करता है?)

यहां पर सर्च इंजन की अगर मैं बात करूं तो सर्च इंजन पर कोई भी आप रिजल्ट सर्च करते हो कुछ भी आप सर्च कीजिए आप देखेंगे कि सेकंड्स के अंदर आपको सर्च इंजन मिलियंस ऑफ रिजल्ट्स दिखा देता है, अब ऐ ऐसे कैसे होता है?  तो यहां पर भी सर्च इंजन ने कुछ प्रिपरेशन कर रखी है, जब भी आप सर्च इंजन पर कोई क्वेरी(Query) डालते हो तो गूगल पहले से ही जाकर डेटा खोजकर लाया होता है! लेकिन उसको कैसे पता चलता है? की आपको यही प्रश्न(query)चाहिए,तो इसके लिए आपको सर्च इंजन की वर्किंग समझना पड़ेगा, की सर्च इंजन कैसे काम करता है?

सबसे पहले वेबसाइट के बारे में जानेगे की वेबसाइट कैसे बनती है और काम कैसे करता है ? मानो की एक वेबसाइट बनी -तो वेबसाइट एक डॉक्यूमेंट की तरह है जो कि हमारे लैपटॉप में बना है, कोई भी डेवलपर वेबसाइट बनाता है या हम वर्डप्रेस पे भी वेबसाइट बनाते हैं तो हमारे लैपटॉप में बनाते हैं जिसको हम बोलते हैं लोकल होस्ट;  फिर क्या होता है हम उस वेबसाइट को लाइव करते हैं लाइव करने का मतलब होता है उसको इंटरनेट से कनेक्ट कर रहे हैं -इंटरनेट पे पुट कर रहे हैं- सर्वर पर पुट कर रहे हैं;  तो अब यहां पर डाटा जो है हमारे ये जो डॉक्यूमेंट हैं जो भी लिखा हुआ है टेक्स्ट है- फॉन्ट है- इमेजेस है -ये सब इंटरनेट से कनेक्ट हो गया है; 

तो इतना पहले आपको समझना है अब यहां पर हम बात करते हैं सर्च इंजन की वर्किंग की तो सबसे पहला स्टेप जो क्रॉलिंग (crawling)- क्रॉलिंग का मतलब क्या होता है कि सर्च इंजन का एक रोबोट, सर्च इंजन का यूं समझ लो एक काम करने वाला; उसको जिसको हम क्रॉलर बोल सकते हैं या स्पाइडर बोल सकते हैं यह हमारी वेबसाइट पर आता है और हमारी वेबसाइट के सोर्स कोड को रीड करके ले जाता है और अपने लोकल सर्वर के अंदर सेव कर देता है; आपको थोड़ा सा बता देती हूं कि आखिर ये सोर्स कोड दिखता कैसे है तो देखिए-




यह हमारा है सोर्स कोड तो इसे हम कहते हैं सोर्स कोड या फिर कह लो आपकी वेबसाइट का स्ट्रक्चर हो गया; आपकी वेबसाइट का एचटीएमएल हो गया तो इसको रीड करता है क्रॉलर इसको रीड करके और उसको अपने लोकल सर्वर में रख देता है यहां तक सर्च इंजन को कोई मतलब नहीं होता है कि आपकी वेबसाइट टेक्नोलॉजी से रिलेटेड है, आपकी वेबसाइट एंटरटेनमेंट से रिलेटेड है, आपकी वेबसाइट फूड से रिलेटेड है, उसे कोई मतलब नहीं है उसने बस इसको रीड किया और अपने  खुद की पर्सनल पेन ड्राइव में सेव कर लिया! 

लोकल सर्वर-लोकल सर्वर का मतलब बार-बार क्रॉल करना है, क्योंकि हो सकता है, कई बार कोई अपडेट आ जाए कई बार आपने कोई भी चेंजेज(changes) किए हो अपनी वेबसाइट में, तो उसको भी ये क्रॉल करे; कई बार आप खुद भी क्रॉलर को बुला सकते हो कि आओ मेरी वेबसाइट पर उसको क्रॉल करो- रीड करके और ले जाओ ये कैसे करते हैं? ये  आगे देखेंगे तो  क्रॉलिंग (crawling)का  मतलब रीडिंग ऑफ योर डाटा (Reading of your data)आपके सोर्स कोड को रीड करके आपके एक-एक वेब पेज को क्रॉल करके और लेकर जा रहा है और अपने लोकल सर्वर में सेव कर रहा है!

इंडेक्सिंग(indexing)-   इंडेक्सिंग का मतलब होता है डिवाइड(divide) करना /कैटेगरी(category) में बांटना होता है! तो इंडेक्सिंग में  गूगल(google) के क्रॉलर क्रॉल( crawler crawl) करेगे डेटा लेकर आ राह है,जिसको उसने  अपने स्थानीय सर्वर( local server) पर  (save)सेव किया,उन  वेबपेज(webpages) को  categories करना यानी कि अलग अलग कैटेगोरी(category) या इंडेक्स्ड(indexed) में बताना,यही प्रक्रिया(process)index or indexing कहराता हैं !

उदाहरण(Example)-आपकी लाइब्रेरी में तीन पेओन है  या  तीन काम करने वाले लोग हैं  या तीन वर्कर्स हैं - पहला वर्कर को आप बोलते हो मार्केट जाओ जितनी भी नई किताबें आई हैं, नई मैगजींस आई हैं, नई बुक्स आई हैं, आप उनको लेकर आ  जाओ , तो फर्स्ट पर्सन जो है मार्केट जाता है जितनी भी नई बुक्स आई हैं, जो हमारे पास पुरानी बुक्स पढ़ी है उनके जो रिविजंस आए हैं ,नई अपडेट्स आई है उनको उठाता है नई मैगजींस को, नए न्यूजपेपर्स को सबको उठा के और लाकर मेरी लाइब्रेरी में फेंक देता है, उसको कोई मतलब नहीं है यह हिंदी की बुक है  या इंग्लिश की है  या लिटरेचर की है  या नोवल है कोई मतलब नहीं है उसने मैंने जो उसको बोला कि नई-नई किताबें ढूंढ के लाओ और उसको मेरे पास लेकर आओ पूरा डाटा तो ये जो फर्स्ट जो हमारा वर्कर था इसे हम सर्च इंजन की- एग्जांपल से रिलेट करूं तो इसे हम बोलेंगे क्रॉलर!

दूसरा -अब मेरी बारी आती है, दूसरे वर्कर की दूसरे वर्कर को मैंने बोला कि भाई वो देखो क्रॉलर जो है, जो फर्स्ट पर्सन है वो इतनी सारी बुक्स लेकर आया है आप उन बुक्स को लेकर आओ और उसको जो अलग-अलग कैटेगरी वाइज जो शेल्स बनी हुई है -जो कह सकते हो कैटेगरी बनी हुई है उसमें जाके जमाओ, तो फिर वो एक-एक बुक को उठाता है देखता है, अच्छा ये हिंदी की नोवल है, इसको मेरे को हिंदी वाली सेल्फ में डालना है हिंदी में भी ये नोवल है तो वहां पे उसको पुट करना है, ये वाली उर्दू में है तो इसको मेरे को इस कैटेगरी में डालना है, ये वाली इंग्लिश में है इंग्लिश में भी कॉमेडी में है, तो उसमें पुट करना है, तो ऐसे वो मल्टीपल जो शेल्स बनी हुई है हजारों लाखों शेल्स बनी हुई है मेरी लाइब्रेरी में उनमें जाकर उस बुक को रख रहा है, तो ये जो दूसरा पर्सन है इसका नाम है इंडेक्सर(Indexer) इसका काम है इंडेक्सिंग(indexing) करना यानी categories करना !

नेक्स्ट पर्सन है वो -जो थर्ड पर्सन है उसका काम तब चालू होता है जब कोई पर्सन कोई कस्टमर मेरी लाइब्रेरी में आता है और मुझसे बोलता है कि मुझे ये वाली बुक चाहिए तो अब मैं उस थर्ड पर्सन को बोलूंगी कि जाओ इस कैटेगरी की- ये जो ये मांग रहे हैं इस कैटेगरी की किताबें लेकर आओ ,तो वह वहां पर जाएगा उस शेल्स में जो हजारों किताबें पढी हैं उनमें से वह कुछ 10 पा सात आठ किताबें लेकर आएगा और पहली किताब सबसे अच्छी होगी -दूसरी किताब उससे अच्छी -तीसरी किताब उससे अच्छी- रेलीवेंसी(Relevancy) के अकॉर्डिंग(according) वो उस पर्सन को किताबें दिखाएगा तो यह जो थर्ड पर्सन है इसका नाम है रैंकिंग एल्गोरिथम्स(Ranking Alogorithm) क्योंकि ये क्या दे रहा है किताबों को एक उचित क्रम(proper seques) में मेरे कस्टमर तक पहुंचा रहा है! एक अच्छा जो एसईओ एक्सपर्ट है वो हमेशा इन तीनों चीजों पर फोकस करता है वन इज क्रॉलिंग दूसरा इज इंडेक्सिंग एंड रैंकिंग!

वो सिर्फ रैंकिंग पे ध्यान नहीं देता है - क्रॉल पे भी वो ध्यान देगा ,इंडेक्सिंग पे भी ध्यान देगा और रैंकिंग पे भी ध्यान देगा क्योंकि आपकी वेबसाइट की क्रॉलिंग ही अच्छे से नहीं हुई है, तो क्या इंडेक्सिंग अच्छी हो पाएगी, जब इंडेक्सिंग अच्छी नहीं हो पाएगी तो रैंकिंग कैसे होगी तो सिर्फ रैंकिंग पे ध्यान नहीं देना है बल्कि क्रॉल इंडेक्सिंग और रैंकिंग पे ध्यान देना है!


गूगल प्रमुख रैंकिंग कारक(Google Major Ranking Factors)-

जब भी हम सर्च इंजन की बात करते हैं तो वो कौन से फैक्टर्स हैं जो गूगल या  सर्च इंजन (consider)कंसीडर करता है आपकी वेबसाइट को रैंक करने में! ऐसे तो २००+ से भी  ज्यादा फैक्टर्स(200+ Hundred Factors) कंसीडर होते हैं जब भी आपकी वेबसाइट की रैंकिंग डिसाइड होती है-तो हम कुछ मेजर रैंकिंग फैक्टर्स की बात करेंगे,उनमें से कुछ हमारे कंट्रोल में होते हैं मतलब जिनको हम एसईओ के थ्रू ऑप्टिमाइज कर सकते हैं -चेंजेज कर सकते हैं- इंप्रूव कर सकते हैं हमारी वेबसाइट्स को, लेकिन कुछ हमारे हाथ में नहीं भी होते हैं!सबसे पहला आज के टाइम में और जिसको लोग बहुत ज्यादा लाइटली ले रहे हैं दैट इज हाई क्वालिटी ह्यूमन कंटेंट(HIGH QUALITY HUMAN CONTENT)-

(1)हाई क्वालिटी ह्यूमन कंटेंट(HIGH QUALITY HUMAN CONTENT)-यहां पर दो वर्ड्स यूज़ हुए हैं फर्स्ट हाई क्वालिटी , अब हाई क्वालिटी कंटेंट क्या होता है- फर्स्ट जो कि डुप्लीकेट ना हो, ऐसा नहीं हो कि किसी दूसरी वेबसाइट से आपने कंटेंट उठाया अपनी वेबसाइट में पेस्ट कर दिया, नो नेवर एवर डू इट, थोड़ा सा इन्वेस्टमेंट है क्योंकि वेबसाइट बन रही है -यूं समझ लो आपका घर बन रहा है- आपका ऑफिस बन रहा है तो क्या आप छोटी-मोटी चीजों में कंजूसी करोगे जिसकी वजह से आपको लगता है कि कभी पूरा घर ही गिर सकता है- पूरा ऑफिस ही गिर सकता है -नहीं कभी भी आप गलतियां नहीं करोगे तो जब वेबसाइट बनाते हो तब- ये गलती क्यों करते हो कुछ कहीं से भी कंटेंट ले लिया किसी से भी कंटेंट लिखवा लिया- नहीं थोड़ा सा टाइम दो- क्योंकि दिस इज अ वन टाइम थिंग- जब भी आपको कोई कंटेंट पुट कर रहे हो चाहे आप होम पेज (Home page)का डिस्क्रिप्शन हो -अबाउट पेज (About Page)का डिस्क्रिप्शन हो- उसके अलावा हमारा कांटेक्ट अस(Contact Us page) पेज का कंटेंट हो- किसी एक प्रोफेशनल से लिखवा -हद से हद आपको मतलब आई थिंक ₹1000/₹2000 -पर जो है, आपको पेज का पड़ेगा - हो सकता है कोई आपको इतने में भी मिल जाए- बजट में भी मिल जाए और आपको हाई क्वालिटी कंटेंट लिख के दे दे -लेकिन एक बार थोड़ा सा इन्वेस्टमेंट कर दो और अच्छी क्वालिटी का कंटेंट आपकी वेबसाइट पे होना चाहिए - प्लेज जन(PLAGIARISM)चेक करो प्लेज मतलब कॉपीडब्ल्यूबी(Copy Content)नहीं होना चाहिए, दूसरा कीवर्ड घनत्व(KEYWORD DENSITY)कम होना चाहिए ऐसा न हो जिस कीवर्ड्स पर कम करना है उसको जयादा कंटेंट में यूज़ कर रहे हो,नेक्स्ट हमारा कंटेंट AI जनरेटेड न हो(NOT AI BASED COPIED CONTENT)वो ह्यूमन कंटेंट  हो! मैंने वर्ड यूज़ किया है ह्यूमन कंटेंट ह्यूमन रिटन कंटेंट ,गूगल अपनी अपडेट में बोल चुका है की AI कंटेंट नहीं चलेगा! अगर  AI कंटेंट है आपकी वेबसाइट में, तो आपकी वेबसाइट को स्पैम(SPAM) बना दिया जाएगा -आपकी वेबसाइट डाउन रैंक(DOWN RANK) कर दी जाएगी आपकी वेबसाइट ब्लैकलिस्ट (BLACKLISTED)कर दी जाएगी,तो ह्यूमन कंटेंट ही हमें रखना है ह्यूमन रिटन कंटेंट होना चाहिए एआई बेस्ड कंटेंट नहीं होना चाहिए! 

(2)रिलेवेंट कंटेंट(RELEVANT CONTENT)-उसके अलावा रिलेवेंट कंटेंट जो भी आपका नीश है- जैसे अगर मैं डिजिटल मार्केटिंग रिलेटेड वेबसाइट बना रहा हूं,मेक श्यर(MAKE SURE)करो कंटेंट भी उसी रिलेटेड ही डालो ऐसा नहीं कि मार्केट में कुछ भी नया आ गया तो हमने वैसे ही कंटेंट डाल दिया -नहीं इससे आपका नीश जो है वो बिखर जाता है,गूगल को नहीं समक्ष में आता है की  इसका फील्ड क्या है तो रिलेवेंट कंटेंट शुड बी देयर(SHOULD BE THERE)!

(3)कोर वेब वाइट्स (CORE WEB VITALS/PAGE SPEED)-उसके अलावा कुछ ऐसे फैक्टर्स जैसे कि कोर वेब वाइट्स - कोर वेब वाइटल क्या होता है पेज स्पीड जिसे हम कहते हैं पेज लोडिंग टाइम आपके पेज को लोड होने में कितना टाइम लग रहा है देखो बिकॉज नो वन लव्स अ स्लो वेबसाइट! आप खुद सोचिए सबसे इरिटेटिंग एक वेबसाइट में जो चीज आपके लिए होती होगी वो होगी स्लो स्लोने(SLOW SLOWER) मतलब वो इतना ज्यादा स्लो(SLOW) है वेबसाइट दैट यू कैन नॉट यूज इट तो यूजर एक्सपीरियंस(USER EXPERIENCE) खराब होगा और जब यूजर एक्सपीरियंस खराब होगा कैसे आप उस वेबसाइट पे ज्यादा देर रहोगे जब ज्यादा देर रहोगे ही नहीं तो गूगल को लगेगा की लोगों को पसंत ही नहीं आ रहा है तो कोर वेब वाइट्स आपके स्ट्रांग होने चाहिए, सारे पास होने चाहिए और वेब पेज स्पीड जो है वो फास्ट होनी चाहिए यानी पेज लोडिंग टाइम कम होना चाहिए !

(4)डोमेन आयु(DOMAIN AGE)-उसके अलावा डोमेन एज अब ये ऐसी चीज है जो हमारे कंट्रोल में नहीं है कि आपका डोमेन कितना पुराना है भले ही 1% ही लेकिन आपकी रैंकिंग में इफेक्ट डालता है,क्योंकि घर में भी जो सबसे छोटा होता है उसकी बात सबसे लास्ट में मानी जाती है भली ही कितनी अच्छी बात बोल रहा हू और जो सबसे बुजुर्ग होता है उनकी बात को पहले माना जाता है तो सेम चीज डोमेन एज के साथ भी कहीं ना कहीं  पार्ट सेलिटी करता है गूगल! डोमेन एज 0.10% ये हमारा फैक्टर है!

(5) नेटवर्क ऑफ वेबसाइट(NETWORK OF WEBSITE)- उसके अलावा नेटवर्क ऑफ वेबसाइट अब नेटवर्क ऑफ वेबसाइट का मतलब होता है कितने एक्सटर्नल लिंक(EXTERNAL LINK) इंटरनल लिंक (INTERNAL LINK)आपके लगे हुए हैं, कितने आपके बैक लिंक्स (BACKLINKS)लगे हुए हैं आपकी वेबसाइट पर

(6) -सोशल सिग्नल (SOCIAL SIGNALS) -उसके अलावा आपका सोशल सिग्नल यानी सोशल मीडिया पर आप कितने छाए हुए हो, सोशल मीडिया पर आप कितने स्ट्रांग हो क्योंकि सोशल सिग्नल्स अगर अच्छे आ रहे हैं गूगल को, तो आपकी वेबसाइट रैंक करेगा ! उदाहरण(Example)-एक यूजर(USER) है या इन्फ्लुएंसर(influencer) है  जिसका इंस्टाग्राम पर अकाउंट है ,उसके इंस्टाग्राम पर दो तीन  मिलियन उसके फॉलोअर्स हैं काफी ज्यादा वो पोस्ट डालता है, काफी ज्यादा लोगों से इंटरेक्ट करता है और उसकी काफी अच्छी फैन फॉलोइंग है, मान लो वो पर्सन अपने नाम से एक वेबसाइट लॉन्च करता है तो आपको लगता है कि उसे बहुत ज्यादा एसओ की जरूरत होगी नहीं- लोग ही उसके नेटवर्क से जो आएंगे जो सोशल मीडिया से आएंगे वही इतना ट्रैफिक दे देंगे और उस वजह से गूगल को भी उसकी रैंकिंग देनी पड़ेगी!

(7) कीवर्ड प्रॉमिनेंस (KEYWORD PROMINENCE)-कीवर्ड प्रॉमिनेंस आपकी वेबसाइट के जो इंपॉर्टेंट पार्ट्स(importance parts) हैं प्रॉमिनेंस का मतलब होता है इंपोर्टेंट पार्ट्स -इंपोर्टेंट पार्ट्स के अंदर कीवर्ड्स होने चाहिए!

(8)अनुभव, विशेषज्ञता, प्रामाणिकता और विश्वसनीयता(Experience, Expertise, Authoritativeness, and Trustworthiness)-उसके अलावा एक अपडेट आई थी गूगल की इ -इ -ए -टी(E-E-A-T)- अगर यह वेबसाइट में आपके चार पॉइंट कवर हो रहे हैं आपकी वेबसाइट में एक्सपीरियंस(experience) शो हो रहा है एक्सपर्टीज(expertise) शो हो रही है,(That you are an expert of what ever you are writing and what ever you are providing)आप जो भी लिख रहे हैं और जो भी प्रदान कर रहे हैं, उसमें आप एक विशेषज्ञ हैं, दूसरा आपके पास अथॉरिटी(Authority)है ,जैसे स्पेशली जो -जैसे मान लीजिए  रिलेटेड वेबसाइट्स होती हैं ,मान लीजिए  रिलेटेड ब्लॉग्स होते हैं, फाइनेंस रिलेटेड ब्लॉग्स होते हैं, वेबसाइट्स होती हैं उनके लिए ये एल्गोरिथम तो सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट(important) है, कि आपकी अथॉरिटी- आप कौन हो फाइनेंशियल एडवाइस देने वाले आप होते कौन हो हेल्थ रिलेटेड वेबसाइट देने वाले तो वो आपको प्रूव करना पड़ेगा! उसके अलावा टीट मतलब ट्रस्ट वर्दी नेस(Trustworthiness)आपकी वेबसाइट सिक्योर्ड(secured)है क्या, आपसे /अगर मान लो किसी से आप कोई ट्रांजैक्शन(Transactions) ले रहे हो मनी(money) ले रहे हो तो क्या वो नेटवर्क सिक्योर(Secure) है ये सारी चीजें भी देखी जाती हैं और एसएसएल सर्टिफिकेट(SSL Certificate) वो तो ट्रस्ट वर्दी नेस में आ गया कि एसएसएल(SSL) होना जरूरी है गूगल चिला चिला के बोल चुका है ,(I want SSL Cerificate everywhere i.e. SSL Certificate are compulsory requirements)


(9) मोबाइल ऑप्टिमाइजेशन(MOBILE OPTIMISATION) - मोबाइल ऑप्टिमाइजेशन देखो आज के टाइम में गूगल का 50% से भी ज्यादा जो ट्रैफिक आता है वो मोबाइल से आता है लोग मोबाइल उपयोग(use)कर रहे है,अगर आपका वेबसाइट डेस्कटॉप(desktop) पर अच्छा है लेकिन मोबाइल पर अच्छा नहीं है तो गूगल कियू रैंक कराएगा आपकी वेबसाइट को इसलिए मोबाइल ऑप्टिमाइजेशन जरूरी है! इसके लिए हम त्वरित मोबाइल पृष्ठ( AMP=Accelerated Mobile Pages)लगते है !

(10)वेबसाइट सिक्योरिटी (Website Security) - उसके अलावा वेबसाइट सिक्योरिटी बहुत इंपॉर्टेंट(important)है,  जैसे मैंने बोला एसएसएल(SSL) जरूरी है वेबसाइट हैक वगैरह नहीं हुई हो, वेबसाइट पर किसी तरह का थ्रेड ना हो, वायरस ना हो ,ये सारी चीजें भी इंपॉर्टेंट है तो ये है कुछ फैक्टर्स लेकिन ये नहीं है कि दीज आर लाइक ओनली (these are like only)फैक्टर्स इसके अलावा भी कई फैक्टर्स हैं!

तो ये कुछ हमारे रैंकिंग फैक्टर्स हैं उसके अलावा आपकी वेबसाइट की क्रॉल एबिलिटी(Crawl Ability) अच्छी हो, आपकी वेबसाइट की इंडेक्सिंग प्रॉपर(Indexing Proper) हुई हुई हो ,ज्यादा ब्रोकन लिंक्स (Broken Links)नहीं हो आपकी वेबसाइट पर, उसी के साथ ही आपकी वेबसाइट पर स्केमा मार्कअप्स (Schema Markups)लगा हो जिससे कि सर्च इंजन पर जब वो दिखे तो काफी अच्छे रिच स्नेप इट क्रिएट (Rich Snap Create)हो, सोशल मीडिया पर अच्छी परफॉर्मेंस हो आपकी वेबसाइट की, ये सारे भी हमारे रैंकिंग फैक्टर्स हैं!

एसईओ की तकनीकें - ब्लैक हैट और व्हाइट हैट एसईओ?(TECHNIQUES OF SEO - BLACK HAT & WHITE HAT SEO?) - 

जब भी हम कोई काम चूज करते हैं करने के लिए, तो उस काम को करने के दो तरीके होते हैं एक तरीका होता है सही तरीका और एक होता है गलत तरीका, तो वैसे ही जब आप एसईओ करते हो तो एसईओ करने के भी दो मेजर तरीके होते हैं - एक सही तरीका एक गलत तरीका की गूगल पर अपने रैंकिंग को इन्फ्लुएंस करना है गूगल पर अपने रैंकिंग बढ़ाना है तो 

वाइट हेट एसओ(WHITE HAT SEO) - पहला तरीका यह है की आप अच्छे से अच्छे सा कंटेंट लिखिए , अच्छे से अच्छे सा अपनी वेबसाइट पर काम कीजिए ,जो भी गूगल ने आपको गाइडलाइन दी है उनको फॉलो कीजिए ,तो मतलब आप सही तरीका इस्तेमाल कर रहे हो,तो और इस तरीके को हम बोलते हैं वाइट हेट एसओ(WHITE HAT SEO) तो वाइट हेट एसओ का मतलब ही होता है गूगल की गाइडलाइन को फॉलो करते हुए एसईओ करना! - अच्छी सामग्री लिखें(WRITE A GOOD CONTENT),अच्छी वेबसाइट स्पीड(GOOD WEBSITE SPPED),प्रासंगिक कीवर्ड(RELEVANT KEYWORDS),गुणवत्तापूर्ण बैकलिंक्स बनाएँ(CREATE A QUALITY BACKLINKS),अच्छी सोशल मीडिया प्रतिष्ठा(GOOD SOCIAL MEDIA REPUTATION)-कुछ चीजें हमें बोली हुई है कि यह आपको करना है अगर आप अपनी रैंकिंग अच्छे चाहते हो तो जब हम उन गाइडलाइंस को फॉलो करते हैं तो हम कर रहे हैं वाइट हेट एसईओ!

ब्लैकहेड एसईओ(BLACK HAT SEO) - और वहीं अगर मैं एसईओ कर रहा हूं लेकिन यहां पर मैं गूगल के गाइडलाइंस के ख़िलाफ़(against)जाता हु,तो इस तरीके को हम बोलते हैं ब्लैकहेड एसईओ(BLACK HAT SEO),ब्लैकहेड एसईओ मतलब एसईओ करने का गलत तरीका वही सेम एग्जांपल कि जो बोला है वो हम नहीं कर रहे हैं और जो मना किया है वो चीजें हम कर रहे हैं उसे हम बोलते हैं ब्लैक हेट एसईओ 

वाइट हेट एसईओ के कुछ एग्जांपल्स होंगे कि अच्छे कीवर्ड्स डालना, क्वालिटी कंटेंट(QUALITY CONTENT)अपलोड करना, ओ आरएम(ORM WEBSITE) हमारी वेबसाइट की इंप्रूव करना पीआर(PR WEBSITE) अपनी वेबसाइट की इंप्रूव करना उसी के साथ में ऑन पेज(ON-PAGE) अच्छे से करना टेक्निकल(TECHNICAL) चीजें अपनी वेबसाइट की सही करना तो ये सारी वाइट हैड टेक्निक्स होती हैं! वहीं कुछ चीजें होती हैं जो ब्लैक हिट एसओ में आती है जैसे कि कीवर्ड स्टफिंग(KEYWORDS STUFFING) एक ही कीवर्ड को बार-बार  रिपीट करना, अपने कंटेंट में हिडन टेक्स्ट या हिडन लिंक्स (HIDDEN TEXT OR LINKS)लगाना, डोर वे पेजेस(DOORWAY PAGES) यूज़ करना मतलब क्लाइंट को दिखाने के लिए पेजेस जो यूज़ कर रहे हो वो अलग हैं और जहां पर वो लैंड कर रहा है वो अलग पेजेस उनको आप इंडेक्स करा रहे हो, उसी के साथ ही क्लकिंग (CLOAKING)करना ओवर ऑप्टिमाइजेशन (OVER OPTIMIZATION)करना फेक बैकलिंक्स (FAKE BACKLINKS)बनाना, बैकलिंक्स खरीदना जो कि गूगल ने माना किया हुआ है  तो ये सारी ब्लैकहेड टेक्निक्स होती हैं! 

तो जब भी हम एसओ करते हैं मेक श्यर(MAKE SURE) करो कि आप वाइट हेट एसईओ करो और ब्लैक हेट एसईओ नहीं करो उसका रीजन क्या होता है कि ब्लैक हेट एसओ एक स्पैमी टेक्नीक होती है जिसकी वजह से कई बार गूगल आपकी वेबसाइट को स्पैम  में डार देता है, जिससे आपकी वेबसाइट की रैंकिंग गिराने लगाती है ,साथ ही आपकी वेबसाइट ब्लैकलिस्टेड हो सकती है मतलब गूगल ने अपनी इंडेक्सिंग से ही आपकी वेबसाइट को रिमूव कर दिया है! लेकिन कुछ लोग  ब्लैक हेट एसईओ करते है इससे कई बार वेबसाइट जल्दी रैंक हो जाती है, जल्दी पुश(PUSH) मिल जाता है है लेकिन वो शॉर्ट टर्म के लिए- तो ऐसी ,जो वेबसाइट्स हैं जो कि चाहते हैं कि बस कुछ टाइम के लिए लाइक(LIKE) दो-चार महीनों के लिए हमारी वेबसाइट रैंक कर जाए उसके बाद अगर डिलीट(DELETE) भी हो जाते है तो हमें कोई दिक्कत नहीं है तो वो जो इंडस्ट्रीज(Industries) होती हैं वो ब्लैक हेट एसओ यूज करती हैं- बट(BUT) अगर मैं इंडस्ट्री की बात करूं तो इंडस्ट्री में ग्रे हेड(GRAY HAT) एसईओ किया जाता है ज्यादातर! 




ब्लॉग के एंड में अगर आपने इस ब्लॉग से कुछ भी सीखा हो या आपको ब्लॉग अच्छी लगी हो तो आपके जो भी इनपुट्स हैं जो भी आप सोचते हैं इस ब्लॉग के बारे में या कोई और कंटेंट आप चाहते हैं हम आपके लिए लेकर आएं तो वो भी हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताइए...


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